जैसा निर्माण सोचा था ,
वैसा कभी हुआ नहीं .जैसा सपना देखा था ,
वो तो सच हुआ नहीं |
जिसकी देश की मिसाल सोने की चिड़िया सी थी ,
आज वो भ्रष्ट कीड़ो से भरी हो गयी है |
स्वार्थ लालच में ऐसे मद गए है कि ,
कि इनकी भारत माँ भी बिकाऊ हो गयी है|
अब सहने वाले ही बनेगे अवतारी ,
आज़ाद भारत को चाहिए कई क्रन्तिकारी ,
सबक सिखाना है इन भ्रष्ट दीमको को
जल के सब मरेंगे 'अन्ना' से दीपकों से |
उज्जवलित ज्वाला को अतिशय बढाना है ,
प्रण , ले कि स्वं भी दीपक से ज्वाला बन जाना है |
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thnx for this..