Friday, April 8, 2011

आज़ाद भारत के क्रन्तिकारी

जैसा निर्माण सोचा था ,
वैसा कभी हुआ नहीं .
जैसा सपना देखा था ,
वो तो सच हुआ नहीं |
जिसकी देश की मिसाल सोने की चिड़िया सी थी ,
आज वो भ्रष्ट कीड़ो से भरी हो गयी है |
स्वार्थ लालच  में ऐसे मद गए है कि ,
कि इनकी भारत माँ भी बिकाऊ हो गयी है|
अब सहने वाले ही बनेगे अवतारी ,
आज़ाद भारत को चाहिए कई क्रन्तिकारी ,
सबक सिखाना है इन भ्रष्ट दीमको को
जल के सब मरेंगे 'अन्ना' से दीपकों से |
उज्जवलित ज्वाला को  अतिशय बढाना है ,
प्रण , ले कि स्वं  भी दीपक से ज्वाला बन जाना है |