Wednesday, October 31, 2012

क्यों हो मौन ..!


एक शब्द , दो शब्द , हजार शब्द
उलझ -2 कर गुथ गए हैं,
फंसे हुए है,
जाले जैसे

यादें पहले रंगीन थी
भूल -2 कर श्याम हो गयी,
धुंधली सी,
धुंद जैसे

एक प्रश्न , कई उत्तर
एक प्रश्न , कोई उत्तर नहीं,
 इतना कठिन है,
पहेली जैसे

पूछ -2 कर थका हूँ
चीखो, कहो, कुछ तो बोलो,
क्यों हो इतने
मौन जैसे।

Wednesday, August 15, 2012

आज की आज़ादी

शायद आज़ादी का सही मतलब आज भी पता चल नहीं पाया हैं

आज़ाद मैदान में अमर जवान का अपमान करना,
शायद यही आज़ादी हैं !!

कुछ बंगलादेशी हमारे ही असम में दंगे करते हैं,
शायद यही आज़ादी हैं !!

यहाँ कभी भी अपना तिरंगा, पडोसी मुल्क का झंडे सा हो जाता हैं,
शायद यही आज़ादी हैं !!

यहाँ भ्रष्ट आरोपी की कभी भी पदोनात्ति हो जाती हैं,
शायद यही आज़ादी हैं !!

अगर वास्तव में यही आजादी हैं, तो शायद गुलाम रहने में ही भलाई हैं।

Saturday, July 7, 2012

बूंदे


आनंदित पुलकित

हो गया मन,

खिला खिला, नया नया

है ये तन,

चमकती बूंदों के स्पर्श से

भीनी -२ खुशबू

हरा ताज़ा रंग,

कोपले फूटी

और ली नयी साँसे

नव जीवन हो गया आरम्भ।।