कुछ बदल सा गया अब बचपन
हो गया है इसका आधुनिकरण,
चाँद तो आज भी आता है
पर क्यों नही कोई देखता,
बारिश तो आज भी होती है
पर क्यों नही कोई नहाता,
बुडिया का बाल आज भी बिकता है
पर क्यों नही कोई खरीदता,
क्यों नही कोई बचपन अब
दादी नानी की कहानी सुनता,
जकड गया है बचपन इस आधुनिकता में
घुट कर रह गया है बचपन
विचारोहीन मानसिकता में,
कुछ पल तो जीने दो उन्हें अपना जीवन
मत छीनो उनके दो पल....
दे दो उन्हें उनका बचपन
हो गया है इसका आधुनिकरण,
चाँद तो आज भी आता है
पर क्यों नही कोई देखता,
बारिश तो आज भी होती है
पर क्यों नही कोई नहाता,
बुडिया का बाल आज भी बिकता है
पर क्यों नही कोई खरीदता,
क्यों नही कोई बचपन अब
दादी नानी की कहानी सुनता,
जकड गया है बचपन इस आधुनिकता में
घुट कर रह गया है बचपन
विचारोहीन मानसिकता में,
कुछ पल तो जीने दो उन्हें अपना जीवन
मत छीनो उनके दो पल....
दे दो उन्हें उनका बचपन
Bahut achchha likha hai,...........
ReplyDeletedhanywaad mere dost.
ReplyDeleteNice mere bhai
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