पड़ोस के उठते उस धुए से
पनपे बैर और कलेश की अग्नि में
चिल्लाते भिलकते उन बच्चो की चीख,
जात, धर्म की ढोंग का तमूरा बजा कर
इंसान ने खुद से शुरू की
उस गुनाह चढाने वाली लड़ाई ,
इन सबसे कोसो दूर
किसी उद्यान की हरी, ओस वाली घास पर पैर मारते ,
हाथ में हाथ डाल बैठे उस युगल
की बंद मुट्ठियों में जो सपने हैं ,
अगर हे मानव, जो तू जान गया इन्हें
मिल जाएगा तुझे जन्नत का रास्ता,
प्रेम, प्रेम, प्रेम !!
पनपे बैर और कलेश की अग्नि में
चिल्लाते भिलकते उन बच्चो की चीख,
जात, धर्म की ढोंग का तमूरा बजा कर
इंसान ने खुद से शुरू की
उस गुनाह चढाने वाली लड़ाई ,
इन सबसे कोसो दूर
किसी उद्यान की हरी, ओस वाली घास पर पैर मारते ,
हाथ में हाथ डाल बैठे उस युगल
की बंद मुट्ठियों में जो सपने हैं ,
अगर हे मानव, जो तू जान गया इन्हें
मिल जाएगा तुझे जन्नत का रास्ता,
प्रेम, प्रेम, प्रेम !!
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thnx for this..