Thursday, September 23, 2010

प्रोजेक्ट और प्यार

चाहा उसको पर इज़हार करना भूल गया , ऑफिस के काम में रात को कुर्सी पर ही झूल गया ,
फिर सोचा कि प्रोजेक्ट की डेडलाइन के बाद बोलूँगा  , इन्क्रीमेंट के बाद ज़रूर मुंह खोलूँगा ,
पर डेडलाइन तो एक्सटेंड हो गयी है, और इन्क्रीमेंट भी १०० रुपयों का हुआ है ,
प्रकाश की गति से बाल झर रहे थे , सीट पर बैठे -२ नित्य कर्म कर रहे थे ,
प्रोपोसल वाला गुलाब कांटा हो चुका था , मैनेजर भी हमसे उब चुका था ,
पर अब,
प्रोजेक्ट तो लाइफटाइम हो गया है , ऑफिस ही हमारा घर हो गया है .
मैनेजर कहता की है की यही शादी कर लो , लाइफटाइम प्रोजेक्ट है यही बस लो ,
हम बोले की अब प्रोजेक्ट ही मेरा प्यार है, यही मेरा घर बार है ...!

3 comments:

thnx for this..